_________मेरी भी दो मोमबत्तियां_____________
सूरज को देखे हुए कई दिन गुजर गए थे काफी ठंड थी सुबह जल्दी ही नींद खुल गयी थी बस रज़ाई की स्निग्धता मे बैठा था आज चिड़ियों की चह चाहट भी नही थी थी एक खामोशी थी परिंदे भी ठंड मे कहीं खो से गए थे और मै भी रज़ाई मे बैठे बस अपनी बिटिया को निहार रहा था, खट खट की आवाज के साथ सन्नाटे और धुंध को चीरते हुये अखबार वाले की साइकिल घर के नजदीक आ रुकी शायद इंतजार भी उसी का था
अखबार ले कर श्रीमति जी को आवाज दी आज चाय नही दोगी क्या, जवाब भी तुरंत मिला बना लीजिये और मेरे लिए भी ले आइएगा आज क्रिसमस की छुट्टी है अभी सोने दीजिये, अब चाय की लत भी बुरी थी पीना है तो बनाना भी पड़ेगा , इतनी ठंड मे बिस्तर से निकालने का मन तो नही था पर फिर भी सोचा की रोज़ ही तो बनती है आज कूद ही बना लिजाए चाय लेकर श्रीमति जी को दी और खुद पीते हुये अखबार देखने लगा तो उसमे मीना की जलने की खबर थी मीना मेरे जानने वाले पंडित जी की बिटिया थी मेरे संस्थान मे पड़ती भी थी अभी यही कोई सात आठ महीने पहले ही तो उसकी शादी हुयी थी मै भी शादी मे गया था सब खूब खुश थे पंडित जी ने अपनी हैसियत से उठ कर दान दहेज भी दिया था बिटिया के ससुरालीजन भी सज्जन लग रहे थे दूल्हे के कुछ रिश्तेदार दहेज कम मिलने को लेकर कुछ बात जरूर कर रहे थे पर फिर भी सब कुछ ठीक ठाक ही निपट गया था और मीना को मै भी जनता था वो साहसी थी इसलिए मेरे मन मे भी संतुसती के भाव थे ,
तो आज अचानक ये सब कैसे अखबार मे लिखा था की मीना चूल्हे मे खाना बनाते वक़्त अस्सी प्रतिसत जल गयी है जब घर मे लकड़ी कंडे वाला चूल्हा था नही तो मीना उसमे कैसे जल गयी
अब जल्दी तैयार हो कर पंडित जी से फोन मे बात की तो उन्होने बताया की मेडिकल कॉलेज मे है कल सुबह ही जली थी मै भी पहुँचा तब मीना कुछ बोलने लगी थी मेरी भी बात हुयी तो वो कह रही थी की सर मैंने ही जिद की की लकड़ी के चूल्हे मे खाना बनाने की मैं अपनी गलती से खुद जल गयी हूँ , और मुझसे मेरी बेटी के बारे मे पुंछने लगी और बोली अपनी बेटी को खूब पड़ाइएगा और कभी दहेज देकर शादी करने की मत सोचिएगा अब तक मै समझ चुका था की क्या हुवा है, अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गयी और डाक्टर ने हम सबको बाहर कर दिया अब जल्दी जल्दी अस्पताल के कर्मचारी आ जा रहे थे तुरंत ही उसे दूसरे कमरे मे ले जाया गया हम लोगो बाहर ही खड़े भगवान से यही प्रार्थना कर कर रहे थे की मीना किसी तरह ठीक हो जाय कुछ देर बाद अस्पताल का एक कर्मचारी आ कर बोला की आप की बिटिया चली गयी
सब रो रहे थे मीना के ससुरली जन अस्पताल की औपचरिकताये पूरी कर रहे थे मै भी भारी कदमों के साथ घर को चल दिया क्रिसमस का दिन था रास्ते मे गिरजा घर मिला तो सोचा की दो मोमबत्तियाँ ही जला दूँ हमारे देश मे विरोध का इससे अच्छा तरीका क्या हो सकता था बस आज न जाने क्यूँ अपनी बिटिया को ले कर कुछ ज्यादा चिंता थी ।
अखबार ले कर श्रीमति जी को आवाज दी आज चाय नही दोगी क्या, जवाब भी तुरंत मिला बना लीजिये और मेरे लिए भी ले आइएगा आज क्रिसमस की छुट्टी है अभी सोने दीजिये, अब चाय की लत भी बुरी थी पीना है तो बनाना भी पड़ेगा , इतनी ठंड मे बिस्तर से निकालने का मन तो नही था पर फिर भी सोचा की रोज़ ही तो बनती है आज कूद ही बना लिजाए चाय लेकर श्रीमति जी को दी और खुद पीते हुये अखबार देखने लगा तो उसमे मीना की जलने की खबर थी मीना मेरे जानने वाले पंडित जी की बिटिया थी मेरे संस्थान मे पड़ती भी थी अभी यही कोई सात आठ महीने पहले ही तो उसकी शादी हुयी थी मै भी शादी मे गया था सब खूब खुश थे पंडित जी ने अपनी हैसियत से उठ कर दान दहेज भी दिया था बिटिया के ससुरालीजन भी सज्जन लग रहे थे दूल्हे के कुछ रिश्तेदार दहेज कम मिलने को लेकर कुछ बात जरूर कर रहे थे पर फिर भी सब कुछ ठीक ठाक ही निपट गया था और मीना को मै भी जनता था वो साहसी थी इसलिए मेरे मन मे भी संतुसती के भाव थे ,
तो आज अचानक ये सब कैसे अखबार मे लिखा था की मीना चूल्हे मे खाना बनाते वक़्त अस्सी प्रतिसत जल गयी है जब घर मे लकड़ी कंडे वाला चूल्हा था नही तो मीना उसमे कैसे जल गयी
अब जल्दी तैयार हो कर पंडित जी से फोन मे बात की तो उन्होने बताया की मेडिकल कॉलेज मे है कल सुबह ही जली थी मै भी पहुँचा तब मीना कुछ बोलने लगी थी मेरी भी बात हुयी तो वो कह रही थी की सर मैंने ही जिद की की लकड़ी के चूल्हे मे खाना बनाने की मैं अपनी गलती से खुद जल गयी हूँ , और मुझसे मेरी बेटी के बारे मे पुंछने लगी और बोली अपनी बेटी को खूब पड़ाइएगा और कभी दहेज देकर शादी करने की मत सोचिएगा अब तक मै समझ चुका था की क्या हुवा है, अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गयी और डाक्टर ने हम सबको बाहर कर दिया अब जल्दी जल्दी अस्पताल के कर्मचारी आ जा रहे थे तुरंत ही उसे दूसरे कमरे मे ले जाया गया हम लोगो बाहर ही खड़े भगवान से यही प्रार्थना कर कर रहे थे की मीना किसी तरह ठीक हो जाय कुछ देर बाद अस्पताल का एक कर्मचारी आ कर बोला की आप की बिटिया चली गयी
सब रो रहे थे मीना के ससुरली जन अस्पताल की औपचरिकताये पूरी कर रहे थे मै भी भारी कदमों के साथ घर को चल दिया क्रिसमस का दिन था रास्ते मे गिरजा घर मिला तो सोचा की दो मोमबत्तियाँ ही जला दूँ हमारे देश मे विरोध का इससे अच्छा तरीका क्या हो सकता था बस आज न जाने क्यूँ अपनी बिटिया को ले कर कुछ ज्यादा चिंता थी ।