गुरुवार, 13 मार्च 2014

                      प्रेम और नफरत

प्रेम और नफरत दोनों जीवन के अभिन्न है। अंतर बहुत छोटा सा होता है प्रेम कब हो जाय पता नही चलता 
और नफरत कब और क्यों हुई थी  भूलता। प्रेम कब जन्म लेके पनपने लगता है ये पता ही नही चलता जितना आनन्द प्रेम में होने का है उतना ही इसे पड़ने और सुनने में आज सबेरे जब मै घर से आ रहा था तभी एक ऑटो में एक नब्बे के दशक का एक गीत सुनाई दिया " किसी को चाहते रहना कोई खता तो नही खता तो जब है  की हम हाले दिल किसी से कहे " प्रेम होता ही ऐसा है कि वो न किसी से कहा जाय और न उसके बिना रहा जाय प्रेम के बिना जीवन की कल्पना ही बेकार है। प्रेम का अपना जादू होता है। अपने तमाम रहस्यों के साथ अपनी ही कल्पनाओं और सुनहरे ख्वाबों क साथ। अपने तमाम दर्द के साथ आनंद में ही रहता है। 
     प्रेम अपने मतवाले मनोवेग से चलता जैसे दुनिया के सबसे खूबसूरत फूल उसी के पास हों वो अपने आप ही सुन्दर दिल को छूने वाले संगीत के साथ चलता है चिड़ियों चहचाहट नदियों का सुन्दर संगीत सब प्रेम के साथ ही है। प्रेम कि तमाम कवितायेँ सुरीले राग सब सुनाई देते है। इसके विपरीत नफरत में जलन और तपन से अधिक कुछ नही नफरत जहाँ भी होगी वहाँ कुछ बचता ही नही। और प्रेम में उसके सिवा कुछ होता नही 

बुधवार, 12 मार्च 2014

ब्राह्मण भूखा तो सुदामा समझा तो चाणक्य और रूठा तो रावण

ब्राह्मण भूखा तो सुदामा समझा तो चाणक्य और रूठा तो रावण
 ब्राह्मण भूखा तो सुदामा समझा तो चाणक्य और रूठा तो रावण दमदार संवाद सिनेमा में भी और उत्तर प्रदेश की राजनीती में भी यही से दिल्ली सत्ता का रास्ता निकलता है। और मेरा अनुभव है कि ब्राह्मण जिधर होता है सत्ता उसकी होती है । कोंग्रेस ,बीजेपी और बीएसपी को आप देख चुके हैं । अटल जी की खातिर ब्राह्मण बीजेपी में रहे । अटल जी के नेपथ्य में चले गए तो ब्राह्मण भाजपा से किनारा कर गए और उत्तर परदेश में बसपा के पाले में आ गए । असल बात ये है कि ब्राह्मण अकेला नहीं जाता ,उसके साथ नाई , कुम्हार ,कहार स्वछकार और लोहार आदि भी जाते हैं । इसका कारण ये है कि विभिन्न संस्कारों के अवसर पर ब्राह्मण ही इनको नेग दिलाता है इसलिए ये सभी लोग ब्राह्मण का सम्मान करते हैं और उसी के अनुसार बिना किसी के कहे वोट देते हैं । पहले मुस्लमान और ब्राह्मण एक साथ रहते थे मगर भाजपा को ये साथ पसंद नहीं आया तो उसने मंदिर और अटल जी के नाम पर उन्हें अपने पाले में कर लिया । अब फिर मुस्लमान और ब्राह्मण के साथ आने के हालात बन रहे हैं । अब देखना ये है कि कौन इन्हें अपने पाले में करता है । फ़िलहाल ब्राह्मणों के भाजपा में लौटने की सम्भावना नहीं दिख रही है । बाकी तो जो है सो हइये है।