ब्राह्मण भूखा तो सुदामा समझा तो चाणक्य और रूठा तो रावणब्राह्मण भूखा तो सुदामा समझा तो चाणक्य और रूठा तो रावण दमदार संवाद सिनेमा में भी और उत्तर प्रदेश की राजनीती में भी यही से दिल्ली सत्ता का रास्ता निकलता है। और मेरा अनुभव है कि ब्राह्मण जिधर होता है सत्ता उसकी होती है । कोंग्रेस ,बीजेपी और बीएसपी को आप देख चुके हैं । अटल जी की खातिर ब्राह्मण बीजेपी में रहे । अटल जी के नेपथ्य में चले गए तो ब्राह्मण भाजपा से किनारा कर गए और उत्तर परदेश में बसपा के पाले में आ गए । असल बात ये है कि ब्राह्मण अकेला नहीं जाता ,उसके साथ नाई , कुम्हार ,कहार स्वछकार और लोहार आदि भी जाते हैं । इसका कारण ये है कि विभिन्न संस्कारों के अवसर पर ब्राह्मण ही इनको नेग दिलाता है इसलिए ये सभी लोग ब्राह्मण का सम्मान करते हैं और उसी के अनुसार बिना किसी के कहे वोट देते हैं । पहले मुस्लमान और ब्राह्मण एक साथ रहते थे मगर भाजपा को ये साथ पसंद नहीं आया तो उसने मंदिर और अटल जी के नाम पर उन्हें अपने पाले में कर लिया । अब फिर मुस्लमान और ब्राह्मण के साथ आने के हालात बन रहे हैं । अब देखना ये है कि कौन इन्हें अपने पाले में करता है । फ़िलहाल ब्राह्मणों के भाजपा में लौटने की सम्भावना नहीं दिख रही है । बाकी तो जो है सो हइये है।
बुधवार, 12 मार्च 2014
ब्राह्मण भूखा तो सुदामा समझा तो चाणक्य और रूठा तो रावण
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सत्य
जवाब देंहटाएंतुम सब मायावती की नाजायज औलाद लगते हो... अगर पिछवाड़े में गूदा है तो नाम लिख के post करो गू सर पर ढोने वालो
जवाब देंहटाएंBrahman= Bhikhari..bheek maang ke khane wale..humesha maangte hi rehte ho tumlog..pet nhi bharta kabhi
हटाएंKm bol madhrchod
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