गुरुवार, 21 अगस्त 2014

                     ____________ कुछ राष्ट्रवादी देशद्रोही भी बोल सकते है______________


आज 68वां स्वतन्त्रता दिवस है । सब अपनी अपनी तरह से इसे लेकर उत्साहित, बच्चे स्कूल मे मिलने वाले गिफ्ट और मिठाइयों के लिए, विभागीय अधिकारी मिठाई मे बचे रुपयों को लेकर, अपने नेता जी एक दम नये भाषण को लेकर, पर नेता जी को यह नहीं पता की जो वो बोलने वाले है वो उनसे पहले वाले विधायक जी भी यही सब बोलते थे।
15 अगस्त मेरे लिए एक छुट्टी का दिन होगा जो मै अपने परिवार के साथ बिताने वाला हूँ। पत्नी बच्चों के लिये सुबह का नस्ता बनाऊँगा फिर कही घूमने जाऊंगा किसी माल सिनेमा या जो मेरी बेटी बोलेगी पर किसी नेता जी भाषण सुनने का बिलकुल भी मन नहीं है। अगर कहीं नही गया तो पीसी मे कुछ गाने सुनुगा। फिर बच्चो के साथ कार्टून देखुंगा कम से कम मंच वाले कार्टून से टीवी वाले कार्टून ज्यादा सच्चे और अच्छे लगते है । मुझे कुछ राष्ट्रवादी देशद्रोही भी बोल सकते है और कुछ बड़का नेता टाइप लोग पाकिस्तान जाने के लिए भी बोल सकते हैं, बोले मुझे कोई फर्क नही पड़ता फर्क तो तब पड़ता जब सुबह टंकी मे पेट्रोल लेने जाता हु तो दाम आधी रात से दो रुपए बड़ गए होते है, फर्क पड़ता है जब शाम को घर आते वक़्त सब्जी वाला बताता है की टमाटर 80 रुपए किलो है प्याज भी महंगा है । तो लगता है जिन लोगों ने मुझसे ये सब सही दाम मे दिलाने की बात की थी वो वादे से मुकर गए। और मै कुछ नही कर सकता तो मुझे अपनी स्वतन्त्रता पर शक होता है शक तब और पुख्ता हो जाता है जब दो के साथ आप तीन लोग किसी जरूरी काम से बाइक मे जा रहे हो तो ट्राफिक वाला आपको रोक लेता है , और वहीं से तीन सवारी पास आटो वाला पंद्रह ले कर निकल जाता है । आप मजबूरी मे तीन बैठे है। तो अपराध बनता है और आटो वाला निकल गया क्यूकी वो पैसे या पुलिसिया भाषा मे इंट्री देता है। तब एक बार फिर मै अपनी स्वतन्त्रता मे शक करता हूँ।
जिन नेता जी का भाषण होना है उनके कई रिश्तेदार होंगे जिन्होंने बिजली के मीटर रुकवा दिए होंगे, कुछ जो ठेकेदारी करते है उन्होने सड़कें ऐसी बनाई है की जो जल्दी ही गड्डो मे तब्दील हो गयी है । डैम ऐसे बनाए की वो एक बारिश मे ही बह गए अब ये सब लोग तालियाँ बजाएगे खुशियाँ मनाएगे क्यूकी ये सब आज़ाद है।
मै कैसे मनाऊ आजादी का जश्न जबकि मुझे पता है की मै आजाद नही हूँ । कल से फिर वही ऑफिस वही रूटीन पर अपने नेता स्वतन्त्रता दिवस की थकान और तनाव से मुक्ति के लिए सरकारी खर्चे से यूरोप जा सकते है। या तो इसी धन से कहीं कुछ भक्ति भी दिखा सकते है। कल मै गैस सिलेन्डर की लाइन मे खड़ा रहूँगा और नेता जी या किसी अधिकारी का ड्राइवर आकर एक चार छः सिलेन्डर ले जाएगा और मुझे फिर कल आने के लिए बोला जाएगा । गैस एजेंसी वाले की भी मजबूर है पहले तो एजेंसी इन्ही नेता और अधिकारियों के मेहरबानी से मिली है दूसरे उसे हर महीने गैस ब्लैक भी तो करनी है नही तो इलाके के दबंग लोगों के होटल और रेस्टोरेन्ट कैसे चलेंगे ये सब एक दूसरे के पूरक है एक मै ही अपने को अलग पाता हूँ ।
तो मै भी इन सब दूर ही रहूँगा और अपने बच्चों के साथ खेलूगा टीवी देखुंगा कल सोलह अगस्त को बच्चे का बर्थडे है जो इस महीने का बजट बिगाड़ेगा पर पर उसे नए कपड़े गिफ्ट मे कुछ वीडियो गेम दिलाने है ये मेरी ज़िम्मेदारी है और वादा भी है जो पूरा करना है पूरा होगा मेरा बेटा सजावट के लिए कुछ प्लास्टिक के झंडे ले आया था सामने शोकेस मे रक्खे थे उन्हे देख कर जय हिन्द बोलने का मन किया पर शब्द नही निकले आंखे जरूर गीली हो गयी थी। खुद को बहुत ही अकेला पाता हूं। सोचता हूं, क्या और भी लोग होंगे मेरी तरह जो आज अकेले में आज़ादी का यह त्यौहार मना रहे होंगे। वे लोग जो इस भीड़ का हिस्सा बनने से खुद को बचाये रख पाए होंगे..?? वे लोग जो अपने फायदे के लिए इस देश के कानून को रौंदने में विश्वास नहीं करते..?? वे लोग जो रिश्वत या ताकत के बल पर दूसरों का हक नहीं छीनते..??????

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