बच्चों को भी हो सेक्स की जानकारी
आज कल सेक्स को लेकर एक तरह की बहस चल रही है। अब इसको लेकर हम अपने घर या किशोर बच्चों से कैसे बात करें। यह एक तरह का गंभीर सवाल बन कर सामने है।
माता-पिता यह बात माने या न माने पर हकीकत यही है की बच्चे सबसे ज्यादा अगर किसी से प्रभावित होते हैं तो वे होते हैं उनके अपने माँ-बाप। इस वजह से, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप एक ही समय में अपने आपको कमतर और अपने बच्चों के किशोर मित्रों को ताकतवर न माने। अब तक किए गए अनुसंधानों से यह स्पष्ट है की माँ-बाप और बच्चों के मध्य प्यार भरा करीबी रिश्ता किशोरावस्था के मुश्किल दौर में उनकी सबसे बड़ी ताकत होता है और जीवन का कोई भी कठिन निर्णय लेते वक्त उनका सहायक बनता है। वे सदैव अपने मां-बाप में ही सकारात्मक, व्यस्क रोल मॉडल तलाशते है जो जीवन की कठिन राह में उनका सही मार्गदर्शन कर सकें। इसलिए माँ-बाप का भी कर्तव्य बनता है कि वे अपने बच्चों के साथ स्वस्थ और ईमानदारीपूर्ण रिश्ता कायम करें।
समाज में जिस तरह यौन अपराधों की वृद्धि हो रही है किशोर अपराधियों की संलग्नता बढ़ी है उसे देखते हुए परिवार की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह महत्वपूर्ण है की किशोरवय पुत्र या पुत्री के साथ सेक्स, लव और रिश्तों को लेकर खुलकर बात की जाय न कि कहानियों या मिथकों का सहारा लेकर उन्हें समझाने की कोशिश की जाय। भारतीय परिवारों में सेक्स जैसे विषयों पर प्रायः घर पर बात नहीं होती। लेकिन सोचकर देखिए अगर आप ही उनसे इस विषय पर खुल कर बात नहीं करेंगे तो वे कहीं और से जानकारी लेने की कोशिश करेंगे जो संभवतः सही रास्ता नहीं होगा और हो सकता है कि भविष्य में आपके विश्वास को भी ठेस पहुँचाए। इसलिए कच्ची उम्र के साथ जीवन में आने वाले बदलावों के बारे में एक दोस्त की तरह उससे बात करिए। एक ही लाइन में आप उसे जल्दी सेक्स के संभावित जोखिम के बारे में बता सकते हैं और उससे बचने के तरीके भी बता सकते है ताकि अंजाने में उससे कोई गलती न हो।
आपके अपने किशोर के साथ रिश्ते की गुणवत्ता विशेष रूप से यौन समस्याओं के बारे में बात कर रहे हो, सकारात्मक प्रभाव डालती है। सिर्फ इसलिए की आपका बच्चा अभी व्यस्क नहीं है का यह मतलब नहीं है कि उसकी किसी अन्य व्यक्ति के प्रति प्रबल और शक्तिशाली भावनाएं न हो तथा वह उसके साथ सेक्स संबंध बनाने की इच्छा न रखता हो। और इस कच्ची उम्र में वह किसी के प्यार में न पड़ जाए। यह स्थिति आपके लिए जितनी डरावनी होगी उससे ज्यादा खतरनाक उस किशोर के लिए होगी जो भावावेश में आकर कोई ऐसी गलती न कर बैठते है जिसकी भरपाई संभव न होती।
अपने किशोरों की भावनाओं का सम्मान दीजिए, किसी भी विषय पर उनकी टिप्पणियों को सोचे-समझे बिना खारिज मत करिए। खासकर यदि वह किसी प्यार में पड़ गए हो, तो यह कहकर कि तुम अभी सिर्फ 15 साल के हो, तुम क्या जानो असली प्यार क्या होता है, कहकर उन्हें उकसाइए मत कि वे असली प्यार की तलाश में एक्सपैरीमेंट करने निकल पड़े। यदि ऐसा हुआ तो वो आपको बहुत भारी पड़ेगा।
जब आप इस तरह से बात करते है तो किशोर अपने और आपके बीच पीढ़ी के अंतर को ले आता है, उसको लगता है कि आप उसे नहीं समझते। जब ऐसा होता है तो आप दोनों के बीच दूरियाँ बन जाती है। जिनको पाटने में काफी वक्त लग सकता है।
अपने बेटे और बेटी के साथ अपनी भावनाओं को शेयर करें ताकि उन्हें स्वयं को सुरक्षित और महत्वपूर्ण महसूस करने में सहायता मिले। यह वह समय है जब आप अपने किशोर को वैल्यू सिस्टम से अवगत कराएं। उसे समझाएं की जीवन में मूल्यों का क्या महत्व है और दुनिया में अपनी पहचान होना कितना महत्वपूर्ण है। उसके मन में खुद के लिए भी जितना सम्मान होना चाहिए उतना ही औरों के लिए भी होना चाहिए। अगर उनके ऊपर किसी भी तरह का अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है चाहे वह सेक्स से संबंधित ही क्यों न उन्हें उसका खुलकर विरोध करना चाहिए, क्योंकि यह उम्र सेक्स सम्बन्ध स्थापित करने की नहीं है।
अंत में, आपकी कोशिश होनी चाहिए की आपका पारिवारिक जीवन स्वस्थ और स्थिर हो। अपने किशोर की गतिविधियों में आपकी दिलचस्पी हो, यह बात उसके अंदर आत्मविश्वास को बढ़ाएगी और वह और भी अच्छा करने का प्रयत्न करेगा। इसके विपरीत यदि घर का माहौल अच्छा नहीं होगा। माता-पिता के मध्य तनावपूर्ण संबंध होंगे, वे स्वेच्छाचारी होंगे या उनके विवाहेत्तर संबंध होंगे, तो किशोरवय बच्चों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। तथा स्वस्थ परिवार की छवि का जो सकारात्मक प्रभाव उन पर पड़ना चाहिए, वह नहीं पड़ेगा उल्टे संभावित नुकसान हो सकता है।
स्वेच्छाचारी परिवेश से आने वाले किशोरों में यौन संबंध रखने का खतरा अधिक होता है। इसलिए आपका कर्तव्य बनता है की आपके परिवार के सदस्यों के मध्य स्वस्थ संबंध हों, अगर आपको लगता है कि आपका किशोर रास्ता भटक रहा है, तो यह आप पर निर्भर है कि एक पैरेन्ट् के रूप में, आप अपने किशोर को सही रास्ते पर लाने के लिए किस तरह के कदम उठाएंगे, उनके जीवन में सबसे अच्छा , सबसे अधिक विश्वसनीय और ईमानदार रोल मॉडल की भूमिका अदा करेंगे या उसके साथ उपेक्षित व्यवहार करेंगे। याद रखे की जो किशोर सेक्स संबंधित प्रश्नों के लिए अपने माता - पिता पर निर्भर करते हैं वो उतने ज्यादा यौन सक्रिय नहीं होते। क्योंकि उनकों अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता।
एक दिलचस्प अध्ययन के अनुसार जिन किशोरों का कोई रोल मॉडल नहीं था, वे सेक्स को लेकर अधिक सक्रिय थे। इसका मतलब यह है , अपने किशोरों के साथ एक स्वस्थ संबंध बनाने का यह एक हिस्सा है कि आप अपने किशोरों की बातों को ध्यान से सुने और उनसे सेक्स के बारे में भी खुल कर बात करें, भले ही वह उस समय आप से आँखें चुराए, लेकिन आपको ताज्जुब नहीं करना चाहिए यदि वे आगामी दिनों या हफ्तों में सेक्स संबंधित प्रश्न के लिए आपकी सलाह लेनी चाहें। शोधकर्ता , मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय में बाल रोग के प्रोफेसर , और कनाडा के बाल सोसायटी के अध्यक्ष के अनुसार - माता पिता उससे कहीं अधिक अधिक महत्वपूर्ण हैं जितना वे समझते हैं। किशोरावस्था स्वायत्ता की मांग करती है जो स्वाभाविक है। लेकिन माता - पिता की यह भूमिका है कि वे फिर भी रोल मॉडल बने रहें।
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